एक सीनियर्स से एक बड़े भाई और एक दोस्त तक का सफर !!


कोई बोलना चाहता है क्या ? एक दृढ़ आवाज़ PIET कॉलेज के उस बड़े से सेमिनार हाल में रात को 9:00 बजे के आस-पास गूंजी, जिसकी बैठने की छमता करीब 300-400 लोगो की है, लेकिन अभी बमुश्किल 40-50 लोग ही थे। उनमे से ज्यादा लोग वो थे, जिन्हें डिबेट से तो ज्यादा कुछ मतलब नही था,चूंकि सभी फर्स्ट ईयर में थे तो कुछ गलतफहमीयम थी कि जाने में क्या दिक्कत है, एक बार देख तो लेंगे की वाद-विवाद होता क्या और कैसे है, औऱ एक बात उससे पहले हमें ये भी बताया गया था कि शायद कोई बड़ा डिबेटर हमे सीखने जा रहा था तो कुछ लोग तो उस बड़े डिबेटर को देखने के लिए जा रहे थे कि वो कैसे होगा क्या उसके भी 4 ही हाथ पांव होंगे या फिर उसके पंख होंगे । माहौल भी बिल्कुल चहल-पहल से भरा हुआ था, फिर से वही आवाज़ दोहराई गयी, शायद एंकर महसय ये तसल्ली कर लेना चाहते थे, की इन 40-50 की भीड़ में कोई एक भी है जिसमे थोड़ी सी भी हिम्मत हो, जिससे उसे प्राथमिकता दे कर औरो को को प्रेरित कर सके इस इंटर डिबेट प्रतियोगिता में, और हां शायद उन्हें वो इंसान मिल गया था उन 40-50 लोगो की भीड़ में पहला हाथ ऊपर की ओर दिखाई दिया, मुझे नही पता था कि मेरा हाथ ऊपर क्यो और कैसे गया, मुझे इसमे भी ईश्वर की मुझे बदनाम करने की चाल लगी, सभी लोगो की नजरे मुझ पर आ कर कुछ इस तरह से ठहर गयी जैसे मैं कोई एलियन हूँ, मुझे भी खुद ऐसे लग रहा था, एक दबा कुचा से लड़का जो काफी पीछे छुपता से इन सब चीज़ों, क्योकि सही मयाने में मैं ऐसा सामाजिक रूप से पिछड़ा लड़का था जो कभी भी अपनी बात नही कह पाता था, इसलिए मैंने कवितायें लिखने शुरू कर दी थी क्योकि इसमे मै वो सब कुछ कह सकता हुँ, जो मैं किसी से नही कह सकता।।

सामने एक बिल्कुल शांत, गंभीर लेकिन अगले ही क्षण चंचल होने वाला इंसान और मेरे कुछ और भी सीनियर्स बैठे थे, मुझे याद है मैं मुश्किल से 4-10 लाइने वो भी अंग्रेज़ी में बोली थी, लेकिन जब मैंने खत्म किया तो वँहा एक तालियों का महोत्सव था, लेकिन रुकिए ये मेरे लिए नही था, क्या आप कल्पना भी कर सकते है की क्या की एक हिंदी मीडियम का छात्र, जो अपनी क्लास की लड़कियों को भी मैम कह के बुलाये और उसी दौरान बस 4-10 लाईनो में इतना अच्छा बोल दे की वो भी पहली बार मंच में, जब वो जानता हो कि , नीचे बैठ सभी उसको जज करेंगे और अगर एक गलती हो गयी तो पूरे 4 सालो तक चिढाएंगे, वो मेरे लिए नही था, ये उस इंसान के कारण था जो मुझे ये भरोशा दिलाने के लिए की उन 40-50 लोगो की भीड़ मे खड़े हो कर तालियां बजाने लगे थे की जब कभी मैं दुबारा स्टेज पे चढू तो ये डर न रहे कि लोग क्या कहेंगे, या फिर मैं बोल भी पाऊंगा या नही।। मेरी स्टैज से आते ही मेरे कई दोस्तों ने मुझे डिबेट में अपना साथी बनाने का आग्रह किया ये मेरे वाद-विवाद जीवन की यूँ समझ लीजये की मेरी शर्म, लाज, और डर के अंत होना का एक सुखद सुरुआत थी।।

एंकर महासय मेरी कुछ तारीफ करते हुए अंग्रेज़ी का वही राटा रटाया वाक्य दोहराया Are You Ready to Meet Someone Special? औऱ हम सब ने एक साथ में जवाब दिया यस सर! ठीक है तो आईये मिलते है जो है जयपुर के टॉप डिबेटर और जिन्होंने राज्य स्तर पर डिबेट में प्रथम स्थान मिला है और डिबेट के कारण ही ये मुख्यमंत्री आवास में तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ dinner भी कर चुके है, और मैं इधर अलग ही पैरेलल यूनिवर्स की दुनिया मे चला गया की डिबेट अच्छी चीज है, यार अच्छा नाम होता है, इससे, मैं कुछ इतना खो गया था कि मुझे बस अंत में उनका नाम सुनाई दिया, अनुराग कुमार चौबे, थर्ड ईयर, EC।।

मुझे लगता है, एक दिन या 2-4 दिन ही मैने उन्हें Sir कह के संबोधित किया होगा उसके बाद तो ये उनके स्वभाव का ही कमाल था का मैन आज तक न तो सीनियर माना और ना ही अनुराग भाई जी के अलावा उन्हें कुछ बोला हालांकि वो मुझसे दो साल सीनियर है लेकिन फिर भी ना तो मैने उन्हें कभी सीनियर बोला ना ही उन्होंने मुझसे उम्मीद मेरा कोई बड़ा भाई नही है तो कंही न कंही ये उस कमी को पूरा करते दिखे, इस कॉलेज में या फिर मैं कहूँ की मेरे पूरे जीवन काल मे 4-5 सीनियर ही ऐसे है जिनकी मेरी दिल से इज्जत करने का मन होता है, इन दो सालों में मैने अगर लगभग मेरी पूरी बाते, किसी को बताई है तो ये उन 2-1 चुनिंदा लोगो मे से एक है जो सब कुछ जानते है।।

मैं थोड़ा सा परेशान था, मैने कॉल किया भाई जी मन नही लग रहा, वही चंचलता और सीधेपन के साथ फ़ोन से आवाज़ आयी “अबे, तुमने प्यार कर लिया ना किसी मोहतरमा से ” मैं शांत था, क्योकि बात उनकी सही थी लेकिन मैं परेशान था, क्योकि कॉलेज का पहला इश्क़ जो खुमार पे था, शायद उस दिन श्री कृष्ण जन्मस्थमी थी, उन्होंने फ़ोन में ही बोल बाबू, रूम पे आ जाओ और आज होस्टल में एंकरिंग कर लेना और अभी तुम आ कर मिलो मुझसे, मैं वैसे भी अकेले परेशान हुए जा रहा था, तो मै चल दिया उनके रूम की तरफ, मैं गया मिला और मिलते ही उन्होंने बोला, सुन 1 साल पहले मैं भी सेम हालात पे था, अब बस इतना ध्यान रखना की नशे की तरफ मत चले जाना, मैं कुछ क्षेपं सा गया अंदर ही अंदर कि मैं इतना भी पागल नही हूँ, तो मैंने उनसे कहा कि कुछ नही भाई जी अब मुझे फ़र्क़ नही, मुझे कोई मतलब नही उससे, वो शायद समझ गए मैं जो बोलना जा रहा था, तो उन्होंने मुझे बीच मे ही रोकते हुए बोला, अच्छा नाम क्या बताया था तूने उसका ? और मैने एक ही सांसो में पूरा नाम बता डाला, बस यही तो चाहये था भाई जी को उन्होंने व्यंग लहजे में एक लाइन पढ़ी …….

उसी का नाम लेकर सच कहता हुँ, मैं उसे भूल गया हूँ !!

इस लाइन का मतलब तो तुम्हे हमसे ज्यादा पता होगा, मुसे अपने अपराध का बोध हुया, तब से ले कर आज तक जितनी बार मैंने गलतियां की है, तो एक बड़े भाई की तरह हमेशा सुधारा है।।

आज उनका कॉलेज दुनिया और होस्टल लाइफ का आखिरी दिन था तो जब मैं उनसे मिलने गया तो दो चीज़ों को एक मिश्रित अनुभव हुआ,कुछ ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे जिस्म से आत्मविश्वाश का वो एक हिस्सा जो कुछ भी होने पे एक विश्वाश दे देता था की अनुराग भाई जी है ना कंही अलग हो गया है, क्योकि जब भी मैं खुश या दुखी होता था ये उन एक दो सीनियर्स या कहूँ की एक परिवार के हिस्से में से एक थे जिनकी याद मुझे सबसे पहले आती थी, और खुशी इसी बात की की भाई जी का प्लेसमेंट हो गया वो भी उनकी पसंदीदा कंपनी में हालांकि मुझे इन बात का दुख भी था, की मैं कल खुशी से चिल्ला नही पाया क्योकि जब तक उन्होंने ये बात बताई तब तक मैं एक अलग सी ही दुनिया मे चला गया था क्योकि आज मुझे एहसास हो रहा था शायद आज मुझसे कुछ छूट रहा है, मुझे ये विश्वाश करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था कि अब ये मुझे छोड़ के जा रहे है। फिर दुआ करूँगा की मैं इनके शालिन स्वभाव, के साथ चंचलता के एक सुंदर मिश्रण का अगर 10% भी बन पाया तो मेरे लिए ये सौभाग्य की बात होगी।।ये कहानी यंही पे समाप्त होती है लेकिन साथ जीवन पर्यन्त बना रहेगा, ईश्वर से कामना है मेरी की आप जीवन की उच्चतम शिखर पर पहुंचे और हमको भी उसकी इंटर्नशिप दिलवाये😛।।

Good Bye Bhai Ji

Yours Younger Brother.

– Ramkinkar Das Tripathi

1 thought on “एक सीनियर्स से एक बड़े भाई और एक दोस्त तक का सफर !!

  1. Too good meko toh laga voh sare Gyan tu deta h meko ,accha y apke guru senior bhaiya key chapters the Jo muje padaye the apne …..well written …

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